Negative Attitude

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Wednesday, July 29, 2015

विश्वाश पर अविश्वाश

एक वक़्त था जब बिहार महज मज़ाक था
आज देखिये यहाँ तरक़्क़ी खूब झलकती है
हालात यहाँ खुद सक्षम है अपनी खुशहाली वयां करने में
आंकड़े का क्या ये तो बस विवादों का हसीं संवाद है
चुनाव का मौसम है और तैयार है चेतना के व्यापारी
खबरदार,ये डी.एन.ए और जीन परखकर करेंगे खरीदारी
खयाली जुमले पर होगी सब्सिडी और असत्य का मुफ्त वितरण होगा
खयाली जुमलों पर मौका तो दिया,ना जांचा ना परखा बस वक़्त गवां दिया
यु तो इन रहनुमाओ को हम वैसे ही कहा याद आते है
ये तो चुनाव है, मजबूरीबस खींचे चले आते है
देखियेगा,समझियेगा और तभी व्यापार कीजियेगा
बढ़ चला बिहार का श्रम और विश्वाश पे अविश्वाश पर विचार जरूर कीजियेगा
एक वक़्त था जब बिहार महज मज़ाक था
आज देखिये यहाँ तरक़्क़ी खूब झलकती है...

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