"सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके.शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते"
दोस्तों आज महाषष्ठी है यानी शारदीय नवरात्र का छठा दिन। महाषष्ठी के दिन प्रतिमा को पंडाल में लाकर रखा जाता है और शाम को 'बोधन' के साथ माँ दुर्गा के मुख से आवरण हटाया जाता है और इसके साथ ही आज शाम 'लुचि-तरकारी' यानि पूरी सब्ज़ी खाने के इस रस्म के साथ दुर्गोत्सव का जश्न शुरू ...दुर्गा पूजा के ये चार दिन क्या कहने । हर जगह खुशी और उल्लास। लोगों का हर रोज़ सुबह उपवास रख माँ दुर्गा के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करने दुर्गा पंडाल जाने के लिए घर में भागमभाग और पुष्पांजलि का कभी भी निर्धारित समय पर न हो पाना आदि इस दुर्गोत्सव के जश्न का हिस्सा होता है। लोगों की भीड़ और धूप बाती की आध्यात्मिक गंध के साथ ढाक (ढोल) की आवाज़,धूनुचि नाच और शंख वादन पूरे वातावरण को पवित्र कर रही होती है। तो अब देर किस बात की....दोपहर अब बस संध्या में तब्दील होने ही वाला है…आगाज़ हो इस महाजश्न का…आगाज़ हो दुर्गोत्सव का…आगाज़ हो इस महोत्सव का…आप सबो को दुर्गापूजा की ढेर सारी शुभकामनाएं…:)
दोस्तों आज महाषष्ठी है यानी शारदीय नवरात्र का छठा दिन। महाषष्ठी के दिन प्रतिमा को पंडाल में लाकर रखा जाता है और शाम को 'बोधन' के साथ माँ दुर्गा के मुख से आवरण हटाया जाता है और इसके साथ ही आज शाम 'लुचि-तरकारी' यानि पूरी सब्ज़ी खाने के इस रस्म के साथ दुर्गोत्सव का जश्न शुरू ...दुर्गा पूजा के ये चार दिन क्या कहने । हर जगह खुशी और उल्लास। लोगों का हर रोज़ सुबह उपवास रख माँ दुर्गा के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करने दुर्गा पंडाल जाने के लिए घर में भागमभाग और पुष्पांजलि का कभी भी निर्धारित समय पर न हो पाना आदि इस दुर्गोत्सव के जश्न का हिस्सा होता है। लोगों की भीड़ और धूप बाती की आध्यात्मिक गंध के साथ ढाक (ढोल) की आवाज़,धूनुचि नाच और शंख वादन पूरे वातावरण को पवित्र कर रही होती है। तो अब देर किस बात की....दोपहर अब बस संध्या में तब्दील होने ही वाला है…आगाज़ हो इस महाजश्न का…आगाज़ हो दुर्गोत्सव का…आगाज़ हो इस महोत्सव का…आप सबो को दुर्गापूजा की ढेर सारी शुभकामनाएं…:)
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