Negative Attitude

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Friday, May 3, 2013

क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो मिटटी बनकर

क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो मिटटी बनकर
क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो आंशु  बनकर
क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो सिर्फ सुपुर्द ए खाक होने 
क्या अब हममे इतनी ही शक्ति बची है की अपनों के अर्थियों का सहारा बन सके
क्या चुक हुई जो राजनीती हत्यारा बन गया
क्या चुक हुई जो इंसानियत दर्द का पिटारा बन गया
सरहदों को क्या मालूम रक्त का व्यवसाय होता है वहां
सरहदों को क्या मालूम जिंदगी असहाय होता है वहां
सरहदों को क्या मालूम छल की रवायत है वहां
सरहदों को क्या मालूम जिंदगी के आगे जिंदगी दम तोडती है वहां
क्या चुक हुई जो जय हिन्द की उर्जा काम न आई
क्या चुक हुई जो वन्दे मातरम बेसहारा बन गया
२५ साल कितनी मंडली आई कितनी मंडली गयी
अगर यह निर्दोष था क्यों इसे बचाया न गया
राजकीय शोक से फिर छुपाया जा रहा है राजनीती के इस अपराध को
क्या चुक हुई जो राजनीती से मौत के खेल को हटाया न गया
अगर मलिन हो चुकी है राजनीती तो ख़त्म करो इस रिश्ते को
अगर दीन हो चुकी है कूटनीति तो दफ़्न करो दिखावे के इस गुलदस्ते को
मौत पे रोने की परंपरा है पर आँखों को क्या पता इस अनर्थ का 
आंशुओं को क्या पता की किस बूंद में गम की पीड़ा है और किस बूंद में दिखावा
जुटेंगे लोग मिटटी को मिटटी में मिलाने को
एक और अपराध,एक और कत्ल दफनाने को
बोलियाँ फिर लगेंगी कल से सत्ता के सुनहरे बाजार में इंसानों की
बंदरबांट में जुटे यहाँ किसको चिंता है भारत/भारती के संतानों की
क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो मिटटी बनकर
क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो आंशु  बनकर
क्या चुक हुई जो वतन का लाल घर लौटा तो सिर्फ सुपुर्द ए खाक होने...

2 comments:

  1. Bahut khub likha hai rahuul jee...

    किसी भी शहर के क़ातिल बुरे नहीं होते।
    दुलार करके हुकूमत बिगाड़ देती है।।

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