Negative Attitude

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Thursday, November 15, 2012

एक प्रेमी ये भी...बालासाहेब केशव ठाकरे

प्रत्येक मनुष्य जीवन में किसी न किसी से प्रेम तो करता ही है लेकिन प्रेम में जब समर्पण की भावना जुड़ जाती है तब एक शक्ति का निर्माण होता है और इस शक्ति के जरिये मनुष्य किसी को भी अपना बना सकता है। कोई भी इंसान अपने जीवन में यूं ही सफल नहीं हो जाता। सफलता की कहानी बहुत लंबी और मुश्किलों से भरी होती है। बालासाहेब केशव ठाकरे की मुश्किलों भरी जिंदगी और सफलता की कहानी के पछे का जो सत्य है वो है मुंबई,महाराष्ट्र प्रेम। 23 जनवरी 1926 को मध्यप्रदेश के बालाघाट में जन्में बाल ठाकरे ने अपना करियर फ्री प्रेस जर्नल में बतौर कार्टूनिस्ट शुरु किया था. इसके बाद उन्होंने 1960 में अपने भाई के साथ एक कार्टून साप्ताहिक 'मार्मिक' की भी शुरुआत की. मोटे तौर पर बालासाहेब ने अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के  महाराष्ट्र के एक अलग भाषाई राज्य के निर्माण की संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के राजनीतिक दर्शन का ही अनुसरण किया.अपने कार्टून साप्ताहिक 'मार्मिक' के माध्यम से, वह गुजराती, मारवाड़ी एवं दक्षिण भारतीय के मुंबई में बढ़ते प्रभाव के खिलाफ अभियान चलाया. अंततः 1966 में ठाकरे ने शिवसेना पार्टी का गठन मराठीओ के लिए मुंबई के राजनीतिक और व्यावसायिक परिदृश्य में जगह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया। बाल ठाकरे स्वयं को एक कट्टर हिंदूवादी और मराठी नेता के रूप में प्रचारित कर महाराष्ट्र के लोगों के हितैषी के रूप में अपने को सामने रखते रहे हैं और इनकी इसी छवि के लिए ये हिन्दु हृदय सम्राट के नाम से भी जाने जाते है। बालासाहेब ने राजनीती में जो भी चाल चली उसकी एक ही केन्द्रबिदु रही है और वह है मुंबई,महाराष्ट्र प्रेम। यही वह मोह है जिसके कारण बाल ठाकरे ने बाहर से आकर मुंबई बसने वाले लोगों पर कटाक्ष करते हुए महाराष्ट्र को सिर्फ मराठियों का कहकर संबोधित किया और खासतौर पर दक्षिण भारतीय,बिहार और उत्तर प्रदेश से मुंबई पलायन करने वाले लोगों को मराठियों के लिए खतरा बता,बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र के लोगों को उनके साथ सहयोग न करने की सलाह दी.बालासाहेब की मुंबई और महाराष्ट्र प्रेम और उनके विवादस्पद वयान ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई। उनकी हर एक चाल में एक और विशिष्ट छवि स्वजातीय उत्कृष्टता में विश्वास रखना भी दिखती आई है और उनकी इसी सोच ने उन्हें हिंदूवादी नेता से बहुत हद तक प्रांतवाद एवं भाषावाद की राजनीती तक सिमित कर रख दिया। बालासाहेब की मुंबई और महाराष्ट्र प्रेम ने राजनीती का एक अलग सूत्र प्रांतवाद एवं भाषावाद की राजनीती का भी आविष्कार किया.यह बेशक लोकतान्त्रिक भावनाओं को दूषित करता है जो बहस का मुद्दा बना रहेगा परन्तु अविष्कारों के इस युग में बालासाहेब की राजनीती का यह सूत्र काबिल-ए तारीफ है। हमारे देश में राजनीती को तो लोग सदैब हीन दृष्टिकोण से देखते आयें है लेकिन लोकतंत्र में भले ही राजा का चयन जनता करती है पर राज करने के लिए नीति तो अपनानी ही होगी और यही राजनीती किसी के लिए गन्दी,अहितकारी होगी तो किसी के लिए अच्छी,हितकारी भी। जब कोई किसी प्रेमी के प्रेम पर संदेह करता है और उस प्रेमी को अपना प्रेम साबित करना है तो निश्चित तौर पे यह एक भारी बोझ बन जाता है और जो कुछ भी आप करते है,उसकी व्याख्या देना एक पीड़ादायक बोझ होता है.संशय और प्रश्नवाचक रुपी यही परिस्थिति आपको नासाज़ प्रतीत होने लगती है और परिणामस्वरूप यही एक दूरी पैदा करती है,एक विकृति पैदा करती है,एक घृणा पैदा करती है और इसी प्रीत की हठ का परिणाम है बालासाहेब की भाषावाद एवं प्रांतवाद की राजनिति। बालासाहेब शायद देश की राजनितिक हताशा,असुरक्षित सामाजिक परिवेश और मुंबई की व्यवसायिक हैसियत को अच्छी तरह समझते थे और पूरी दुनिया को अपनी इस समझ यानि हिंदुत्व,भाषावाद एवं प्रांतवाद मिश्रित राजनिति से बखूबी अवगत कराया। प्रेम हरी को रूप है त्यों हरी प्रेम स्वरूप। प्रेम हरि का स्वरूप है,इसलिए जहां प्रेम है,वहीं ईश्वर साक्षात रूप में विद्यमान हैं।बिना कोई राजनितिक पद के हमेशा सिंघासन पे विराजमान रहने वाले बालासाहेब ने मुंबई,महाराष्ट्र से अगाध प्रेम के जरिये पूरी दुनिया को अपना मुरीद बना लिया। माइकल जैक्सन से लेकर अमिताभ बच्चन और लता मंगेशकर तक। क्षेत्रीय स्तर पर राजनीति कर राष्ट्रीय हैसियत हासिल करना कोई आम बात नहीं है और बालासाहेब की मुंबई,महाराष्ट्र से अगाध प्रेम की इसी पराकाष्ठा ने मराठी राजनीती में बाल ठाकरे की सख्सियत को अमर कर दिया। जीवन में ज्ञान और प्रेरणा कहीं से भी एवं किसी से भी मिल सकती है और बालासाहेब की मुंबई,महाराष्ट्र से अगाध प्रेम की राजनीति भी कम प्रेरणादायक नहीं है.बिना कुर्सी या पद की अभिलाषा की राजनीती अगर सीखनी है तो बालासाहेब से सीखे।ये वही राजनीती है जिसने आज भी पूरी मुंबई को एक धागे में पिरोकर रखा है। क्या ख़ास और क्या आम,आज सभी मातोश्री में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को आतुर है। हम श्री बालासाहेब ठाकरे की सेहत के लिए प्रार्थना करते हैं कि वो जल्द से जल्द ठीक हो जाएं।

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