Negative Attitude

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Sunday, September 2, 2012

परिणाम जो भी हो आघात भारतीयता होगी,शर्मशार भारतीयता होगी.....

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख श्री राज ठाकरे ने बिहारीओं को घुसपैठियें मान पहले तो उनको महाराष्ट्र से खदेड़ने की धमकी दी और फिर अब हिंदी चैनलों को बंद करवाने की धमकी दे रहे है.हिंदी भाषा से कम पर हिन्दीभाषी लोगो के साथ इनका अच्छा खासा लगाव रहा है या यूँ माने की हिन्दीभाषी लोगो के खिलाफ आग उगलना इनकी सफलता का महामंत्र है,इनकी सफलता की कुंजी है.महाराष्ट्र और मुंबई के विकास की धीमी गति,लचर एवं असुरक्षित होती प्रशासनिक व्यवस्था की कोई राजनेता या राजनितिक पार्टियाँ जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती परन्तु लाल बत्ती से रौशन राजनितिक जीवन में अपनी मौजूदगी और प्रभाव का एहसास प्रत्येक राजनेता या राजनितिक पार्टियाँ कराती रहनी चाहती है.अपने जनता को उनके ही मौलिक मुद्दों से ध्यान दिग्भ्रमित कराने के लिए महाराष्ट्र की राजनितिक पार्टियां समय समय पर हिन्दीभाषी लोगो के खिलाफ आग उगलने की वयानबाजी जैसी मसालेदार और चटपटी राजनीती करती रहती है.आजाद मैदान की घटना के बाद उमड़े इनके महाराष्ट्र प्रेम का गुबार इनकी क्षीण होती रचनात्मकता वाली राजनीती के लिए एक उत्सव है.अव उत्सव होगी तो जश्न भी होगा और राजनितिक जश्न यानी  वैमनष्य का,एक दुसरे को तोडने का,गुमराह करने का,विशुध कलियुगीया जश्न...हिन्दीभाषी,बिहारी,यु.पी वाले भैया,नॉर्थ इंडियन जैसे शब्द तो राजनीती में भोजन मेज पे परोसने वाले वयंजनो के नाम है और वैमनष्य की वयानबाजी इन वयंजनो को चटकदार बनाने के मील एकम्पनिमेन्ट्स या साइड डिश है.हिन्दुस्तानी संस्कृती में चटपटा खाना,मसालेदार फिल्म,मसालेदार राजनीती की बढती रूचि पूरी सभ्यता को बीमार करती जा रही है.चाहे वो सामाजिक सभ्यता हो या राजनितिक.हर तरफ आईटम की तलाश और आईटम जैसी भावो की प्रस्तुति से लोग अपनी मृत होते रचनात्मकता एक अच्छा परिचय दे रहे है.कर्म और मनोरंजन जीवन की दो विभिन्न आवश्यकताएं है.कर्म को मनोरंजन की शक्ल देना कर्म और मनोरंजन दोनों की गुन्वत्ताओं का अपमान तो है ही साथ साथ इसके साख को बट्टा  लगाना है.इस कुष्ठ सोच की गवाह होती हमारी कोमल एवं जवान पीढियां पता नहीं कर्म के इस गिरते स्तर को किस तरह लेंगे परन्तु यह स्पष्ट है की कोमल पत्तियां समय के थपेड़े,मौसम के सानिध्य में एवं बदलते स्वरुप के साथ ही परिपक्व होती हैं फिर वैमनष्य का यह व्यापक विज्ञापन क्या हमारी कोमल एवं युवा पीढ़ियों की परिपक्वता में एक गभीर विकृति पैदा नहीं करेगी? प्रसासनिक व्यवस्था में राजनितिक हस्तक्षेप, दोनों की कार्यशैली का प्रश्नवाचक उदहारण है,नियमो के पेशेवर तरीके का  इस्तेमाल ही नियमो की गरिमा और लोगो के प्रति इसकी श्रद्धा को बढ़ाएगा न की व्यक्तिगत या राजनितिक भावनाओं के प्रवृत्त हो.वैमनष्य फैलाना एक प्रकार का शोषण है जो न सिर्फ एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह को जहरीला बनाता है वल्कि यह पुरे मानवीय जीवन की श्रृंखलाओं को दूषित कर देता है.हम सब ये क्यों नहीं समझ पाते की विधायिका की राजनीती भी स्वार्थ के लिए होती है अगर यह सत्य नहीं होता तो राष्ट्रपति बनने के लिए राजीनीति पार्टी सहित सभी लाभ के पद को त्याग देना होता है.जब हमारा संबिधान मानता है की लोकतंत्र की राजनीती भी स्वार्थ के लिए होती है,लाभ के लिए होती है तो फिर हम क्यों नहीं समझ पाते, हम क्यों एक राजनितिक इशारे पर एक दुसरे को मरने मारने पे तुल जाते है.एक राजनीतिज्ञ के बातो से प्रवृत्त हो ये क्यों भूल जाते है पहले हम भारतीय है बाद में अपने माता पिता,पैत्रिक स्थान,गृह स्थान या गृह राज्य के.अगर हम भारतीयता को भूल जायेंगे तो देश प्रेम देश प्रेम कैसा? अमर जवान की मूर्तियों पे आघात निस्संदेह निंदनीय है पर मुंबई की अमर जवान पुरे हिन्दुस्तान का अमर जवान है,मुंबई की शान पुरे हिन्दुस्तान की शान है.देश द्रोहियों को दण्डित करना किसी एक राजनेता या राजनितिक पार्टी की जागीरदारी नहीं,यह संबिधान का काम है और हमारा संबिधान देश की रक्षा के प्रति हमसे ज्यादा जिम्मेदार है.हम और आप बोलकर देशप्रेम प्रदर्शित नहीं करते वल्कि इसकी आड़ में भी लाभ के विकल्प तलाशने की कोशिश में लगे रहते है पर हमारा संबिधान बोलता नहीं,करता है! प्रसासनिक व्यवस्था में समन्वय में लापरवाही होगी तो संवाद भी होगा,इसमें गलत क्या है,ये भारत देश के अधिकारी है किसी एक राज्य के नहीं और अपने जिम्मेदारी के अधिकारों का वैधानिक इस्तेमाल करना इनका कर्त्तव्य एवं इनके पदभार करते समय का शपथ भी.राजनितिक हस्तक्षेप की जरूरत है क्या इसमें अगर है तो क्यों? व्यवस्था या सिस्टम पे प्रश्न के वजाय प्रांतवाद एवं जहर फैलाने की राजनीती क्यों? बात निकली है तो उत्पात भी होगा,एक दुसरे से लड़ेंगे भी,किसी का घर वीरान होगा तो किसी की रोजी पे प्रहार.हमारी सरकार इन राजिनितिज्ञों पे लगाम लगाने के वजाए एक नए HELPLINE NO बनाने की कवायद अवश्य शुरू कर दी होगी.आपात स्थिति है भाई.परिणाम जो भी हो आघात भारतीयता होगी,शर्मशार भारतीयता होगी.....

5 comments:

  1. सार्थक और जरुरी पोस्ट आँखें खोलने में सक्षम.......
    (कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये)

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  2. Thackrey always behaves like a fool.

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  3. I wonder what is his answer to all the maharashtri's living out of the STATE.. Please someone ask him to bring them back to the state Why do they get to live elsewhere if other indians are not allowed in maharashtra..

    Another thing is Look at SO many people who endorse his views and follow him blindly.. ARE they indians or foreigners .. I remember writeing in a post http://mannbikram.wordpress.com/2010/02/03/visa-for-mumbai/ .. THAT soon we indians will need a special VISA to visit mumbai..

    Bikram's

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