Negative Attitude

Negative Attitude
Negative Attitude

Thursday, May 31, 2012

आज भारत बंद है...

पेट्रोल की महंगाई के खिलाफ आज समस्त भारत बंद है.जवान भारत की उन्मुक्त जवानी आज पुरे शबाब पे है और भारत बंद को एक उत्सव की तरह मना रहा है. भारत के जवानी की ये शोख अदाएं जीवन चक्र के बिभिन्न दौरों जैसे किल्कारीओं,गर्जनाओ से गुजरती हुई आज सिसकियो और आह से आहा तक के दौर तक पहुच चुकी है. अब जवानी अगर मदमस्त न हो तो जवानी क्या ? जवानी की मादकता तो इसी बात के साक्षी है की आन्दोलन पेट्रोल की महंगाई के खिलाफ हो और इस बंद के समर्थन में CNG से लाभान्वित होने वाले भी शामिल हुए हो. बात तो यही हुई न बहती गंगा है तो हाथ धो ही क्यूँ न ली जाए. जवान भारत का एक पृथक एवं विशाल तबका रोज़ कमाओ रोज़ खाओ नारे के साथ जीने वाले लोग इस भारत बंद आन्दोलन में अपने आप को ऐसे महसूस कर रहे है जैसे किसी विशाल जन समूह में पथराई आँखों से उम्मीद की किरण तलाशते लुप्त हो गए हो. प्रजातंत्र में हड़ताल,धरना,प्रदर्शन आदि प्रजा का अधिकार है परन्तु सिर्फ पेट्रोल की महंगाई के खिलाफ देशव्यापी भारत बंद प्रपंची शकुनी के चौसर के एक चाल सा मालूम पड़ता है. क्या अकेले पेट्रोल महंगाई के लिए जिम्मेदार है? अगर जवान भारत की विलासिता पर नज़र डाली जाये तो छोटे कार बाजारों की स्वर्ग मानी जानी वाली हमारी यह आर्यावर्त गणराज्य में छोटे कारों के विक्री साथ साथ अत्यालंक्रित कारो की विक्री में भी दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. बात तो यही हुई न जवानी के मजे भी लेकिन रियायती दर पे और तो और पुरे देश की दिनचर्या में रूकावट डालकर. यह आम आदमी के लिए आन्दोलन है या फिर संपन्न समूह के विलासितापूर्ण जीवन शैली के लिए? जवान भारत की सामाजिक आर्थिक वर्गीकरण(**Socio Economic Classification) पे अगर गौर फरमाई जाए तो इसका मुख संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता,पडोसी मुल्क द्वारा मोस्ट फेवर्ड नेशन जैसी चर्चो एवं 1388 US डॉलर प्रति व्यक्ति-सकल घरेलु उत्पाद के साथ विश्व में १४०वे स्थान होने से उत्साहित किसी जल कुण्ड में तैरती कोई अतिसुन्दर मछली के सामान सा दिखता है.अब इन तमगो के साथ इस बोल्ड एंड ब्यूटीफुल जवानी में भला क्यों न इतराएँ, क्यों न इठलायें.आज क़ी भारत बंद ने पेट्रोल को इंधन नहीं वल्कि ओक्सिजन बना दिया है.महंगाई का सारा ठीकरा बेचारे इस पेट्रोल पे फोड़ा जा रहा है.हमारे कई राज्य तो पेट्रोल को ही ओक्सिजन मानकर एवं विकास के भांति भांति के लोक लुभावन आंकड़ो के साथ विकसित राज्य होने की ख्याली पुलाव पका रहे है उनको पता है की अन्न को मुहताज सोने की चिड़िया सामान ये प्रजा खयाली पुलाव से फिर पांच वर्ष के लिए आभाव की पीड़ा सहने को तैयार हो जायेंगी.अरे भाई पेट्रोल की कीमत कम करने के बजाये इस पर अपनी निर्भरता को कम की जाये तो गंभीर समस्या कम से कम सिर्फ समस्या तक तो सीमित की ही जा सकती है. संयोगवश साल २०१२ ३६६ दिनों का है, एक दिन व्यर्थ गया कोई बात नहीं लेकिन इसके बाद हमें उम्मीद करनी चाहिए की चौसर की अगली चाल जनकल्याण के लिए होगी न की राजनितिक पैतरेबाजी के लिए... आइये हम सब मिलकर पुरे सौहार्द के साथ इस भारत बन्दोत्सव को मनाते है...नमस्कार, आदाब एवं आपका दिन मंगलमय हो  इसी के साथ निगेटिव एटिटयुड आपसे विदा लेता है..:-)
** बाजार अनुसंधान में परिवारों के वर्गीकरण के लिए सामाजिक आर्थिक वर्गीकरण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है

No comments:

Post a Comment